इजरायल के शोधकर्ता का दावा, कोरोना से लड़ने में कारगर है कोलेस्ट्रॉल की ये दवा

इजरायल के शोधकर्ता का दावा, कोरोना से लड़ने में कारगर है कोलेस्ट्रॉल की ये दवा

सेहतराग टीम

दुनियाभर में कोरोना के बढ़ते हुए संक्रमण को रोकने के लिए वैज्ञानिक इसका इलाज ढूढ़ने में लगे हुए हैं। हालांकि इस दौरान कई दवाओं के नाम सामने आए हैं जिन्हें कोरोना के इलाज में कारगर बताया जा रहा है। इसी बीच इजरायल के हिब्रू विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता ने कोरोना वायरस की दवा को लेकर बड़ा दावा किया है कि बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली कोलेस्ट्रॉल रोधी दवा ‘फेनोफाइब्रेट’ कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को काफी हद तक कम करने में कारगर है।

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शोधकर्ता का दावा है कि यह दवा कोविड 19 के स्तर को सामान्य जुकाम के स्तर तक कर देने में मदद करती है। संक्रमित मानव कोशिका पर दवा के इस्तेमाल और पर्यवेक्षण के बाद यह दावा किया गया है। विश्वविद्यालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि क्लीनिकल ट्रायल में भी इस बात की पुष्टि होती है कि इस दवा से उपचार के बाद कोरोना की स्थिति सामान्य जुकाम जैसी हो जाएगी। 

विश्वविद्यालय के ग्रास सेंटर ऑफ बॉयोइंजिनियरिंग में निदेशक प्रोफेसर याकोव नाहमियास ने न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई मेडिकल सेंटर में बेंजामिन टेनोएवर के साथ संयुक्त शोध में यह पाया। उन्‍होंने कहा कि नोवेल कोरोना वायरस इसलिए खतरनाक है क्योंकि इसके कारण फेफड़ों में वसा का जमाव हो जाता है, जिसे दूर करने में फेनोफाइब्रेट मददगार है।

विश्वविद्यालय के प्रो. नाहमियास ने कहा

हम जिस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं यदि उसकी पुष्टि इलाज से जुड़े शोधों में भी होती है तो इस उपचार से कोविड-19 का जोखिम कम हो जाएगा और यह सामान्य जुकाम की तरह हो जाएगा।

दोनों शोधकर्ताओं ने देखा कि सार्स-सीओवी-2 स्वयं को बढ़ाने के लिए मरीजों के फेफड़ों में किस तरह से बदलाव करता है। उन्होंने पाया कि वायरस कार्बोहाइड्रेट को जलने से रोकता है जिसके परिणामस्वरूप फेफड़ों की कोशिकाओं में वसा का जमाव हो जाता है और यही परिस्थिति वायरस के बढ़ने के लिए अनुकूल होती है।

शोधकर्ताओं ने फेनोफाइब्रेट फेफड़ों की कोशिकाओं को वसा जलाने में मदद करती है और इस तरह इन कोशिकाओं पर वायरस की पकड़ कमजोर हो जाती है। साथ ही शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इस दिशा में महज पांच दिन तक किए गए उपचार से वायरस लगभग पूरी तरह गायब हो गया।

विश्वविद्यालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीका विकसित करने के कई प्रयास चल रहे हैं लेकिन शोध बताते हैं कि टीके से मरीज का इस संक्रमण से बचाव महज कुछ महीनों के लिए ही होता है। इसलिए कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में वायरस के हमले से बचाने से कहीं अधिक आवश्यक वायरस को बढ़ने से रोकना है।

 

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